इस विषय पर काफी जटिलताएं भरी हुई हैं. गर्भधारण के साथ ही तरह-तरह के मिथक सेक्स को लेकर बताएं जाने लगते हैं वहीं ज्यादातर पुराने लोग गर्भावस्था के दौरान सेक्स न करने की सलाह देते नजर आने लगते हैं . गर्भावस्था के दौरान सेक्स के बारे में कम बाते की जाती हैं क्योंकि यह हमारी सांस्कृतिक मानसिकता में घुला हुआ है कि गर्भावस्था के दौरान सेक्स नहीं करना चाहिए. लेकिन वास्तविकता में ऐसा कुछ है नहीं. यह अलग है कि इस दौरान कुछ सावधानियां जरूर बरतनी चाहिए. इसलिये जरूरी है इस मिथक की वास्तविकता को जानकर गर्भावस्था के दौरान भी अपनी सेक्स लाइफ आनंददायी बना सकते हैं.
यहां यह बात सबसे पहले समझ लेनी चाहिये कि सेक्स और सेक्सुअलिटी दोनों में काफी अन्तर है. और जब तक संतुष्टिदायक सेक्स नहीं किया जाता है तब तक सेक्सुअलिटी में होने वाली बढ़ोत्तरी परेशान करती रहती है. यह स्थितियां गर्भावस्था के दौरान भी होती है. इसलिये जरूरी है कि गर्भावस्था के दौरान भी सेक्स किया जाए लेकिन गर्भ में पल रहे शिशु की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी महत्वपूर्ण होती है. इस अवस्था में सेक्स के लिये कुछ बाते हैं जिनका ध्यान रखना जरूरी है-
Sunday, June 15, 2008
गर्भावस्था के दौरान सेक्स
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Monday, April 7, 2008
गर्भावस्था सावधानी व सुझाव
सामान्य परीक्षण
सामान्य गर्भावस्था में भी किन-किन रोगों का परीक्षण नियमित रूप से किया जाता है?
लगभग सभी सामान्य गर्भों के दौरान एड्स, हैपेटिटिस - बी, साईफिलिस, आर एच अनुपयुक्तता और रूबेला का नियमित परीक्षण किया जाता है। गर्भकाल में अलग-अलग समय पर रक्त के सैम्पल लेकर डॉक्टर इन स्थितियों का परीक्षण करते हैं।
जन्मजात रोगों के सम्बन्ध में व्यक्ति को कब चिन्ता करनी चाहिए?
आपके बच्चे को जन्मजात रोगों का खतरा अधिक हो सकता है यदि वह निम्नलिखित तीन कारणों में से किसी में आता है। (1) पहले बच्चे में जन्मजात रोग (2) परिवार में जन्मजात विकारों का इतिहास जिनके दोहराये जाने की सम्भावना रहती है। (3) यदि मां की उम्र 35 वर्ष से अधिक हो तो बच्चे में अभावपरक संलक्षणों का खतरा बढ़ जाता है।
क्या सामान्य रक्त परीक्षणों से जन्मजात विकारों को परखा जा सकता है?
अध्ययन से पता चलता है कि प्रसव पूर्व होने वाली रक्त की जांचों से 90 प्रतिशत जन्मजात विकारों का पता नहीं चल पता है। जाने जा सकने योग्य 10 प्रतिशत जन्मजात रोगों के लिए अलग से चार प्रकार के टैस्ट हैं - एमनियोसेन्टीसिस, करौलिक विलि सैम्पलिंग, अल्फा फैटो प्रोटीन (ए एफ पी) जैसे टैस्ट और अल्ड्रासाउण्ड स्कैनस।
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सामान्य देखभाल
स्वास्थ्य परक आहार पर इतना अधिक जोर क्यों दिया जाता है?
अपने अजन्में बच्चें के पोषण की आप एकमात्र स्रोत हैं, आपके खाने की प्रवृत्ति का बच्चे के स्वास्थ्य और कुशल क्षेम पर प्रभाव पड़ता है। बड़ी हुई जरूरत को पूरा करने के लिए आप के शरीर को पर्याप्त पोषण की जरूरत होती है।
गर्भवती माँ को कितनी कैलोरी की जरूरत होती है?
गर्भवस्था के प्रारम्भिक महीनों में आप को अपने आहार में बदलाव लाने की जरूरत नहीं है। गर्भ के बढ़ने के साथ साथ आप को कैलोरी की मात्रा में लगभग 300 अतिरिक्त कैलोरिस जोड़ लेने की जरूरत पड़ सकती है। ऐसा सामान्यतः दूसरे और तीसरे ट्रिमस्टर में होता है। यहि आप अधिक खाते हैं तो आप का ही वज़न बढ़ेगा न कि आपके बच्चे का। इसलिए ध्यान रखें कि आप बरगर, तले पदार्थ, बिस्कुट जैसे केवल कैलोरी बढ़ाने वाले पदार्थ न लें। वस्तुतः आप को जरूरत होती है - प्रोटीन कार्बोहाइड्रेटस एवं मिनरल तथा विटामिन युक्त भोजन की जैसे कि चपाती, दालें, सोया, दूध अण्डे और सामिष भोजन, मेवे, हरे पत्तों वाली सब्जियां और ताजे फल।
लोग कहते हैं कि गर्भवती महिला दो जनों के लिए खाती है?
गर्भ के कारण आप को दो के बराबर खाने की जरूरत नहीं है। सच यह है कि अगर आप दो के बराबर खायेंगे तो आप का वज़न इतना बढ़ जायेगा कि आप अपने लिए अनावश्यक रूप से परेशानियां बढ़ा लेंगी और बाद में उसे घटाने में बहुत परेशानी होगी।
गर्भवती महिला के लिए सन्तुलित भोजन कौन सा होता है?
गर्भकाल के दौरान आप के आहार में निम्नलिखित होने चाहिए -3 बार श्रेष्ठतम प्रोटीन - अण्डा, सोयाबीन, सामिष।2 बार विटामिल सी युक्त पदार्थ - रसीले फल, टमाटर4 बार कैलशियम प्रधान पदार्थ (गर्भकाल में 4 बार स्तनपान में 5 बार) जैसे दूध, दही।3 बार हरी पत्तों वाली और पीली सब्जियां या फल पालक, बथुआ, छोले, सीताफल, पपीता, गाजर।1/2 बार अन्य फल एवं सब्जियां - बैंगन, बन्द गोभी4-5 बार साबुत अनाज और मिश्रित कार्बोहाइड्रेटस - चपाती चावल8-10 गिलास पानीडॉक्टर के परामर्श के अनुसार आहार परक दवाएं।
एक गर्भवती महिला को किन आहार पूरक दवाओं की जरूरत होती है?
एक गर्भवती महिला को अपने आहार में विटामिन, आयरन और कैलशियम की जरूरत रहती है। आयरन फोलिक और कैलशियम की गोलियां सभी सरकारी स्वास्थ्य केन्द्रों में मुफ्त उपलब्ध रहती हैं। ये दवाएं आमतौर पर सुविधा से उपलब्ध होती हैं कौन सी दवा लेनी है इसका सुझाव डॉक्टर से लेना चाहिए।
स्वस्थ गर्भ में कितने वज़न का बढ़ना आदर्श माना जाता है?महिला का वज़न औसतन 11 से 14 किलो के बीच बढ़ना चाहिए।
ट्रिमस्टर के अनुसार वज़न के बढ़ने का श्रेष्ठतम स्वरूप क्या है?
ट्रिमस्टर के अनुसार वज़न बढ़ने का आदर्श स्वरूप इस प्रकार है।
1. पहला ट्रिमस्टर - 1 से 2 किलो
2. दूसरा ट्रिमस्टर 5 से 7 किलो
3. चार से पांच किलो।
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Thursday, March 27, 2008
सेक्स संबंधी मिथक
मिथक 1- यदि लड़की का योनिच्छद (hymen) टूटा है तो वह कुंवारी नहीं है या यदि सेक्स के दौरान योनि से रक्तस्त्राव नहीं होता तो वह कुंवारी नहीं है.
सच्चाईः किसी महिला के कौमार्य का पैमाना यह मिथक काफी पुरातन काल से चला आ रहा है. यदि सेक्स के दौरान उपर दिये दोनों मिथकों में एक भी पाया जाता है तो यह माना जाता है कि वह महिला अपना कौमार्य खो चुकी है. जबकि यह गलत है . वास्तव में योनिच्छद चमड़ी की काफी पतली परत (झिल्ली) होती है जो आंशिक रूप से योनि को ढंके रहती है. जिसका मुख्य उद्देश्य योनि को वैक्टीरिया और हानिकारक रोगाणुओं से बचाना होता है. यह झिल्ली काफी संवेदनशील होती है और आसानी से हल्के से धक्के में भी फट जाती है. कुछ लड़कियों के तो जन्म से ही योनिच्छद नहीं होता है तो कई बार खेलने के दौरान , घुड़सवारी व साइकिल की सवारी के दौरान भी लड़कियों की योनिच्छद क्षतिग्रस्त हो जाती है. ज्यादातर एथलीट खेल के दौरान अपनी योनिच्छद तोड़ चुकी होती है. वहीं कई बार टैम्पून लेने पर भी योनिच्छद टूट सकता है तो हस्तमैथुन के दौरान भी योनिच्छद टूट जाता है. इसलिये यह कहना गलत है कि योनिच्छद टूटा है या क्षतिग्रस्त है तो लड़की अपना कौमार्य खो चुकी है.वहीं दूसरी ओर यदि सेक्स के दौरान योनिच्छद टूटता है तो कुछ रक्तस्त्राव होता है , क्योंकि झिल्ली के उत्तकों में रक्तवाहिनियां होती है. लेकिन यह वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध कर दिया है कि कई बार कुछ महिलाओं का योनिच्छद टूटने के बाद भी रक्त स्त्राव नहीं होता वहीं पहले बताई जा चुके कारणों से यदि सेक्स के पूर्व झिल्ली फट या टूट चुकी है तो भी रक्त स्त्राव नहीं होगा. वहीं कुछ महिलाओं को शुरुआती दौर के सेक्स में कई बार रक्तस्त्राव होता है. इस आधार यह नहीं माना जा सकता कि यदि सेक्स के दौरान रक्त स्त्राव नहीं होता तो वह कौमार्य खो चुकी महिला है.
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गर्भधारण के बारे में जाने सबकुछ
किसी महिला की पूर्णता सामान्यतौर पर तभी मानी जाती है जब वह मां बनने का सुख प्राप्त करती है. इसके लिये उसे गर्भधारण से प्रसव तक की परिस्थितियों से जूझना पड़ता है. यहां प्रस्तुत है संभोग की सफलता से होने वाले गर्भधारण की जानकारी का पूरा संग्रह-
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